वेल्डिग का वर्गीकरण वेल्डिग को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाता है।
1. फ्यूजन वेल्डिग Fusion Welding
2. विद्युत प्रतिरोध वेल्डिंग Electrical resistance welding
3. प्रेशर या ठोस अवस्था वेल्डिग Pressure or solid state welding
4. ब्रेज वेल्डिंग Braze Welding
5. ब्रेजिंग Brazing
1. फ्यूजन वेल्डिग Fusion welding - ये विधियां निम्न प्रकार की होती हैं।
2. विद्युत प्रतिरोध वेल्डिग Electrical resistance welding - ये विधियां निम्न प्रकार की होती ।
3. सोलिड फेज या रेजिस्टेन्स वेल्डिग Solid phase or registration welding - ये विधि निम्न प्रकार की होती हैं ।
4. ब्रेज वेल्डिंग या ब्रेजिंग Braze welding or braising - इसमें धातुओं को जोड़ने के लिए ब्रास या ब्रोंज को फिलर मेटल के रूप में प्रयोग किया जाता है। जिनका गलनांक बिन्दु फिलर मेटल से अधिक हो। ब्रेजिंग को प्राय: दो विजातीय धातुओं को जोड़ने के लिए किया जाता है, जैसे-तांबा को स्टील के साथ जोड़ना आदि। ब्रेजिंग विधियाँ निम्न प्रकार की होती हैं।
गैस वेल्डिग विधियाँ Gas welding methods
वेल्डिंग विशेष प्रकार की वेल्डिग विधियाँ Welding Special Types of Welding Methods
1. थर्मिट वेल्डिग Thermite welding - इस विधि में रासायनिक क्रिया द्वारा ताप उत्पन्न किया जाता है, यह एक फ्यूजन वेल्डिग है। इसमें थर्मिट पाउडर का प्रयोग किया जाता है।
2. फ़िक्शन वेल्डिग Fiction welding - इस विधि में वैल्ड किए जाने वाले भागों को एक विशेष प्रकार की युक्ति में बांधा जाता है, जिसमें एक भाग स्थिर तथा दूसरा मूवेविल होता है, घर्षण द्वारा वेल्डिंग तापमान एक दोनों सतहों को गर्म किया जाता है तथा जब वह प्लास्टिक अवस्था में आ जाती है, तो मूवेबिल भाग को रोककर प्रेशर द्वारा वेल्डिंग की।
3. स्टड वेल्डिग Stud welding - यह आधुनिक वेल्डिंग तकनीक है। इस विधि से स्टड को किसी प्लेट में बिना किसी पेचिंग द्वारा जोड़ा जाता है। इस विधि में पावर वेल्डिग ट्रांसफॉर्मर से प्राप्त की जाती है।
4. हाइपरबारिक वेल्डिग Hyperbolic welding - पानी के नीचे वेल्डिग करने की तकनीक को हाइपरबारिक वेल्डिग कहते हैं। इस विधि से गैस के उच्च दाब द्वारा जोड़ वाले स्थान को चारों तरफ से पानी रहित किया जाता है।
5. विस्फोटक वेल्डिंग Explosive welding - इस विधि में वैल्ड होने वाले दोनों भागों में विस्फोटक वेल्डिंग से एक भाग को स्थिर रखा जाता है तथा दूसरे भाग को विस्फोटक द्वारा स्थिर भाग पर तिरछा कराया जाता है तो बहुत अधिक वेग से टकराने के कारण मैटल इन्टरफेस एक-दूसरे में फंस जाते हैं तथा एक प्रकार से वैल्ड जोड़ बनाते हैं।
6. अल्ट्रासोनिक वेल्डिग Ultrasonic welding - इस विधि में वेल्डिग किए जाने वाले अवयव एक साथ बलपूर्वक क्लैम्प कर दिए जाते हैं। फिर इन अवयवों को एक ट्रांसड्यूसर द्वारा अल्ट्रासोनिक फ्रिक्वेन्सी पर ओसीलेटिंग शीयर स्ट्रेस दिया जाता है। इस प्रकार दोनों अवयवों की मेटल बिना पिघले ही आपस में जुड़ जाती है ।
7. ऑटोजिनियस वेल्डिग Autozinius welding- एक समान धातुओं को उसी धातु की फिलर रॉड से जोड़ना ऑटोजिनियस वेल्डिंग कहलाता है।
8. हेट्रोजिनियस वेल्डिंग Heterogeneous welding - अलग-अलग प्रकार की धातुओं को विजातीय धातु की फिलर रॉड से जोड़ना हेट्रोजिनियस वेल्डिंग कहलाता है।
वेल्डिंग उपकरण welding Equipment
ऑक्सीजन सिलेण्डर Oxygen cylinder - इसमें 120 से 140 किमी/सेमी दाब की दर से गैस भरी जाती है, इसलिए यह सिलेण्डर शक्तिशाली इस्पात प्लेट का बना होता है। इसके सिरे पर तेल या ग्रीस का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऑक्सीजन इसके सम्पर्क में आते ही प्रज्वलित हो उठती है। ऑक्सीजन सिलेण्डर का काला होता है इसे हमेशा लिटा कर रखना चाहिए
ऐसीटिलीन सिलेण्डर Acetylene cylinder - ऐसीटिलीन सिलेण्डर को डिजोल्वड सिलेण्डर भी कहते हैं। इसका कारण यह है कि यदि शुद्ध ऐसीटिलीन को 16 किग्रा/वर्ग सेमी दाब पर सिलेण्डर में भरा जाए तो वह सिलेण्डर को बर्स्ट कर देगी। इसलिए सिलेण्डर में डिजोल्वड ऐसीटिलीन ही भरी जाती है। ऑक्सीजन सिलेण्डर का मेरून होता है इसे हमेशा खड़ा कर रखना चाहिए
ब्लोपाइप या टार्च Blow pipe or torch - इसे वेल्डिग टार्च भी कहते हैं इसमें ऐसीटिलीन एवं ऑक्सीजन गैसें दो पृथक्-पृथक् पाइप द्वारा प्रवेश करती हैं। इनकी सप्लाई को रेगुलेटर वाल्वों द्वारा नियंत्रित किया जाता हैं।
हाई प्रेशर रबर होज High pressure rubber hose
गैस लाइटर Gas Lighter - ये दो प्रकार के होते हैं। (i) टार्च लाइटर (ii) स्पार्क लाइटर
टिप क्लीनर Tip Cleaner - वेल्डिंग के दौरान टिप में काठ आदि मैल जमा हो जाता है, जिससे उसके सुराख बन्द हो जाते हैं। उसे नर्म तांबे के बारीक तार द्वारा साफ करते हैं।
वेल्डिंग ज्वाइंट टाइप Welding Joint Type
वेल्डिंग करने का तरीका हर एक वस्तु के आधार पर किया जाता है किसी वस्तुओं पर कहीं जॉइंट किया जाता है और किसी वस्तुओं पर कहीं ज्वाइन किया जाता है इसलिए सभी जॉइंट अलग-अलग प्रकार के होते हैं जिस भी वस्तु पर जिस प्रकार के जॉइंट की जरूरत होती है वहां पर वही जॉइंट इस्तेमाल किया जाता है अगर किसी वस्तुओं के कॉर्नर आपस में जोड़ने हैं तो वहां पर कॉर्नर जॉइंट का इस्तेमाल किया जाएगा इसी प्रकार कई और प्रकार के भी वेल्डिंग जॉइंट होते हैं जैसे की
नोट:- इनके अलावा और भी बहुत से जॉइंट होते हैं
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