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- बैंच वाइस (Bench vice)का गाइड नट बनाए जाते हैं। –— गन मेटल
- ऐंगल प्लेट ग्रेड में पाई जाती है –— ग्रेड 1 और ग्रेड 2
- ऐंगल प्लेट में रिब बने होते हैं –— ऐंगल प्लेट को टूटने से बचाने के लिए
- दो पाइपों को 90 डिग्री में जुड़ने के लिए किसका प्रयोग किया जाता है –— एल्बो
- स्लिप गेज को आपस में रगड़ने की क्रिया कहलाती है – Ringing
- जॉकी पुली के साथ उपयोग किए जाने वाले बेल्ट ड्राइव –— ओपन बेल्ट ड्राइव
- नाइट्राइडिंग में कौन सी प्रक्रिया होती है –— अमोनिया क्लोराइड
- वर्नियर हाइट गेज में किस पर मैन डिविजन अंकित होती है – Beam
- तेल के गड़ेपन का पता चलता है –— विस्कोसिटी
- बेवलिंग प्रक्रिया क्या कहलाती हैं –— Countersinking
- कौन सा वाशर झटके सहन करने में सक्षम है – स्प्रिंग वाशर
- ट्राई स्क्वायर से क्या मापा जाता है – 90°
- पुली के बेल्ट के इधर उधर सरकने को कहते हैं –— क्रीपिंग
- रेती (File) के दांतों के बीच के अंतराल (Pitch) को –— रेती का ग्रेड कहते हैं।
- सेकेंड कट रेती ...... के अनुसार होती है। –— ग्रेड
- गोल रेती की सतह पर दांते कटे होते हैं। –— स्पाइरल (Spiral) कट में
- रेती में टैंग भाग को छोड़कर अन्य भाग को किया जाता है। –—हार्ड व टेंपर
- हैंड फाइल (Hand file) को व्यक्त किया जाता है। –— आकार (Shape) के आधार पर
- रेती में फंसे धातु के कणों को से निकालते हैं। –— फाइल कार्ड (File card)
- हैंड फाइल को .....के नाम से भी जाना जाता है। –— सेफ ऐज फाइल (Safe edge file)
- स्नैगिंग क्रिया है –— ग्राइंडिंग की
- अधिकतर प्रयोग में होने वाला ग्राइंडिंग बॉण्ड –— विट्रीफाइड बॉण्ड
- गीली जगह पर प्रयोग किए जाने वाला बॉण्ड –— विट्रीफाइड बॉण्ड
- ग्राइंडिंग व्हील में बॉण्ड एग्रेसिव को जितनी मजबूती शक्ति से पकड़ता है उसे कहते हैं –— व्हील का ग्रेड
- जब ग्राइंडिंग व्हील में किसी धातु के कण फस जाते हैं तो उसे साफ किया जाता है –— व्हील ड्रेसर द्वारा
- ग्राइंडिंग व्हील के मुख्य तत्व हैं –— एग्रेसिव बॉण्ड ग्रेड और स्ट्रक्चर
- B.I.S. से क्या अभिप्राय है–— Bureau of Indian Standard
- काबुराइजिंग प्रायः कितने °C पर की जाती है? –— लगभग 900°C से 950°C तक
- रिफाइंड स्ट्रक्चर प्राप्त करने के लिए कौन–—सी विधि प्रयोग में लाई –— नार्मलाइजिंग जाती है?
- फाइन ग्रेन साइज के व्हील का प्रयोग किया जाता है –— फिनिशिंग कार्य में
- कम्बीनेशन सेट के ब्लेड की धातु –— हाई कार्बन स्टील व एलॉय स्टील
- स्क्वायर हैड की दोनों भुजाओं के बीच का कोण –— 90° व 45°
- ऍगल प्लेट का प्रयोग मार्किंग करते समय जॉब को ....... देने के लिए किया जाता है। –— सहारा
- बैंच वाइस (Bench vice)का फिक्स्ड जबड़ा तथा चल जबड़ा प्रायः से बना होता है। - कास्ट आयरन
- बैंच वाइस (Bench vice) की ऊंचाई …… तक रखनी चाहिए। –— कुहनी (Elbow)
- बॅच वाइस का माप ..... लिया जाता है। –— जबड़े की चौड़ाई से
- BIS (Bureau of Indian Standards.) के अनुसार Slip Gauge सैट में पाये जाते हैं –— M112
- स्लिप गेज कि लिस्ट काउंट होती है –— 0.001 MM
- स्लिप गेज साफ या धोया जाता है –— टैट्राक्लोराइड में
- स्लिप गेज टैट्राक्लोराइड में धोने के बाद उसे –— चोमाइस, लीलन कपडे से साफ किया जाता है
- स्लिप गेज को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रयोग –— प्रोटैक्टर स्लिप
- शाफ्ट का जो भाग बियरिंग मे होता है कहलाता है –— जर्नल
- जॉकि पुली का प्रयोग किस के साथ होता है –— ओपन बेल्ट ड्राइव
- जॉकि पुली वह होती है जो –— पुलियो पर स्पर्श की चाप को बढाती है
- सॉकेट हैड स्क्रू के हैड को स्थान देने के लिए पहले बने सुराख के सिरे को बड़ा करने वाले प्रोसेस को कहते है। –— काउंटर बोरिंग
- छोटे प्रिसीजन कम्पोनेंटस और मेजरिग गेजों के लिए किस प्रकार की थ्रेडस उपयुक्त होती है –— ब्रिटिश एसोशिएशन थेड्स
- एक नट में बढी हुई ऊँचाई होती है इस बढे हुए भाग पर स्लॉट कटे होते है इसे कहते है –— केसिल नट
- टैब वाशर का प्रयोग किया जाता है - सेल्फ लॉकिंग के लिए
- वाइस क्लेम्पो का प्रयोग किया जाता है। –— जॉब की फिनिश की हुई सरफेस को बचाने के लिए
- सामान्य कार्य के लिए किसी बैंच वाइस को कितनी ऊँचाई पर फिट किया जाता है। –— 106 cm
- कार्बन आर्क को किन-किन धातुओं को वेल्ड किया जाता है। –— कास्ट आयरन, ताँबा, एल्युमिनियम
- ऐंगल प्लेट पर किस के लिए स्लाट बनाए जाते है। –— बोल्टों को स्थान देने के लिए
- धनात्मक चालक है –— चेन ड्राइव
- स्काइबर के प्वाइंट कोण होता है। –— 12° to 15°
- बडे व्रतों की लेइंग आउट के लिए किस टूल का प्रयोग करते है। –— ट्रैमल
- मूंज मेटल मे होता है कॉपर व –— जिंक
- बैबिट मेटल एलोय है –— 88% टिन 8% एटीमनी 4% कॉपर
- सॉलिड ब्रास को काटने के लिए हेक्सा ब्लेड का उपयुक्त पिच होती है –— 1.8 mm
- पतले सेक्शन को काटने के लिए हेक्सा ब्लेड की अति उपयुक्त पिच होती है –— 0.8 mm
- स्क्रपर एलाउनस रखा जाता है –— 0.1 to 0.4
- ब्रेजिंग के लिए फलक्स प्रयोग होता है –— सुहागा
- M5 टैप दुारा टैपिंग करने के लिए आप किस साइज का ड्रिल प्रयोग करोंगे –— 4.0 mm
- स्टेनलेस स्टील एलोय है –— क्रोमियम और निकल
- गन मेटल मे होता है कॉपर, टिन ........ –— जिंक
- कार्य के अनुसार मीडियम कार्बन स्टील पर ब्लेड की पिच व दांतो की सख्या होगी –— 1 व 24
- कास्ट आयरन के लिए ब्लेड का ग्रेड साइज बताऔ –— मीडियम
- ड्रिल का साधारण कटिग ऐगल होता है –— 1180
- वर्म थ्रेड का ऐगल होता है –— 290
- रबड के लिए ड्रिल का कटिग ऐज बताओ –— 80°
- ब्रास के लिए प्रयोग कुलेंट –— सूखी हवा
- मिट्रिक टेपर का शीर्ष कोण होता है –— 2°51' 51"
- मोर्स टेपर कितने नम्बरो मे मिलती है –— 0 to 7
- किस स्क्राइबर को वर्नियर हाइट गेज के साथ प्रयोग में लाया जाता है। –— आफसेट स्क्राइबर
- पैरलल ब्लॉक का प्रयोग प्रयोग –— हारीजेन्टल सैटिग
- सरफेस गेज को भी कहते है। –— स्क्राइबिंग ब्लॉक
- लेथ मशीन पर सैन्टर निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है। –— सरफेस गेज
- ड्रिल करने से पहले किस पंच का प्रयोग करते है –— सैटर पंच
- V ब्लॉक B ग्रेड कि लम्बाई होती है। –— 300 mm
- कुछ धातुओं को पतली चादर के रूप में फैलाया जा सकता है इस गुण को कहते हैं आघातवर्धनीयता Malleability
- धातु के पतले तार के रूप में खींचने की क्रिया क्षमता को कहते हैं –— तन्यता Ductility
- धातु के अघातवर्धनीय तथा लचीलापन नहीं होने के गुण को –— भगुर Brittleness
- यदि किसी धातु पर बल लगाया जाए तो वह आकार बदल लेती हैं तथा बल हटाने पर अपने पहले की अवस्था में आ जाती है –— प्रत्यास्थता Elasticity
- लेफ्टर्वड वेल्डिंग तकनीक को कहते हैं –— फॉरवर्ड
- राइटवर्ड वेल्डिंग तकनीक को कहते हैं –— बैकवर्ड
- जब प्लेटो के मध्य किसी दूसरे प्लेट को जोड़ा जाता है तो वह जोड़ कहलाता है –— टी जोड़
- बेस मेटल या पूरक धातु को एक साथ पिघलने की क्रिया कहलाती है –— फ्यूजन
- फिक्सड स्टेडी किस पर फिट की जाती है –— लेथ बैड पर
- शेपर में मैकेनिज्म लगा होता है –— Quick Return Mechanism
- पतले सेक्शन वाले तथा हार्ड मैटेरियल के लिए प्रयोग पिच - वेरी फाइन
- मोटे सैक्सन वाले तथा सॉफ्ट मैटेरियल के लिए प्रयोग पिच - कोर्स पिच
- अधिक गहराई में कटिंग करने के लिए प्रयोग हैक्सॉ - फ्रेम डीप कटिंग
- हैक्सॉ फ्रेम में प्रयोग किया जाने वाला नट - विंग नट इसे फ्लाई नट भी कहते हैं
- नंबर साइज मे सबसे बड़ा ड्रिल एक नंबर का होता है - 5.791 MM
- लेटर साइज में सबसे छोटा A ड्रिल - 5.944 MM
- लेटर साइज ड्रिल में सबसे बढ़ा ड्रिल Z होता है - 10.490 MM
- एक चक्रर में ड्रिल जितना धातु के अन्दर जाता है उसको कहते हैं - फीड
- ड्रिल का पॉइंट ऐंगल निर्भर करता है - धातु पर
- कटिंग ऐज के पीछे जो रिलीफ कोण होता है उसे - लिप क्लीयरेंस ऐंगल
- हेलिक्स ऐंगल को भी कहा जाता है - रेंक ऐंगल
- ड्रिल नंबरों में पाए जाते हैं - 1 से 80 नंबर
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